प्रार्थन समाज
- स्थापना 1867 AD में
- आत्माराम पांडुरंग के द्वारा
- केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से
- प्रार्थन समाज की स्थापना में महादेव गोविन्द राणाडे और आर जी भंडारकर की भूमिका थी
- महादेव गोविन्द राणाडे को पक्षिम भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा जाता है
- प्रार्थना समाज ने बाल विवाह, सजातीय विवाह, विदेशी यात्रा ,स्त्रियों की उपेक्षा का निषेध किया
कुछ लोगों ने यह भ्रम फैला रखा था की अगर आप विदेश जाते हैं तो आपके संस्कार ख़त्म हो जायेंगे।
विधवा आश्रम
- स्थापना 1867 AD में
- स्थापना महादेव गोविन्द राणाडे
- केशवचन्द्र सेन के सहयोग से
"आस्तिक धर्म में आस्था " नामक पुस्तक महादेव गोविन्द राणाडे ने लिखी
"दक्कन एजुकेशन सोसाइटी " की स्थापना महादेव गोविन्द राणाडे ने की
आर्य समाज
- स्थापना- 1875 AD, बॉम्बे
- दयानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित
- आर्य समाज समाज को भारतीय अशांति का जन्मदाता कहा गया
- आर्य समाज को भारतीय अशांति का जन्मदाता वैलेंटाइन सिरोल ने पुस्तक इंडियन अनरेस्ट मेँ कहा
- मूल नाम - मूल शंकर
- सर्वप्रथम 'स्वराज्य' शब्द का प्रयोग किया और हिन्दी को राष्ट्रभाषा माना?
- 'वेदों की ओर लौटो'–यह नारा दिया
- 21 वर्ष की अवस्था में अपना घर छोड़ दिया
- गुरु - दण्डी स्वामी पूर्णानंद
- सत्यार्थ प्रकाश और पाखंड खंडन की रचना
- स्त्रियों को वेद पढ़ना ,ऊँची शिक्षा प्राप्त करना ,जनेऊ धारण करना का समर्थन किया
- शुद्धि आंदोलन का समर्थन किया
इस आंदोलन ने उन लोगोँ के लिए हिंदू धर्म के दरवाजे खोल दिए जिन्होंने हिंदू धर्म का परित्याग कर दूसरे धर्मों को अपना लिया था।
आर्य समाज के प्रचार-प्रसार का मुख्य केंद्र पंजाब रहा है।
उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान मेँ भी इस आंदोलन को कुछ सफलता मिली।
स्वामी दयानंद की मृत्यु 1883 AD मेँ हुई
स्वामी दयानंद की मृत्यु के बाद आर्य समाज दो गुटोँ मेँ बंट गया, जिसमे
एक गुट पाश्चात्य शिक्षा का विरोधी तथा दूसरा पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन करता था।
विरोधी
- श्रद्धानन्द
- लेखराज
- मुंशी राम
- 1902 मेँ हरिद्वार मेँ गुरुकुल की स्थापना की।
समर्थक
- हंसराज
- लाला लाजपत राय
- समर्थकों ने दयानंद एंग्लो-वैदिक (DAV) कॉलेज की स्थापना की थी
दयानन्द सरस्वती को भारत का मार्टिन लूथर भी कहा जाता है
