
फिरोज शाह तुगलक - 1351 से 1388 AD तक
मुहम्मद बिन तुगलक मरते समय अपने चचेरे भाई फिरोज शाह तुगलक को उत्तराधिकारी बनाता है।
फिरोज शाह तुगलक का दो बार राज्याभिषेक हुआ था
1. 22 मार्च 1351, थट्टा या सिंध में
2. अगस्त 1357, दिल्ली में
फिरोज शाह तुगलक की माता नैला देवी (HINDU ) थी।
राजा बनते ही इसने फालतू तरह के 24 टैक्स को बंद कर देता है, जिससे जनता को आराम मिलता है।
फिरोज शाह तुगलक ने नए टैक्स लगाए -
- खराज - भूमि राजस्व कर
- ख़ुम्स - लूट पर कर
- जाजिया- हिंदुओ पर टैक्स
- जकात- धनी मुस्लिमो पर टैक्स
- हक-ए-शर्व - सिंचाई कर
इसने
- 300 से ज्यादा शहर,
- 12000 फलों के बगीचे,
- 100 गुंबद,
- 200 सराय,
- 100 पूले भी बनवाई।
इसने टोप्रा (अंबाला) और मेरठ के अशोक स्तंभ को दिल्ली में स्थापित भी किया था।
फिरोज शाह तुगलक ने नए विभाग बनवाए -
- दीवान-ए-रोजगार - रोज़गार विभाग
- दीवान-ए-खैरात - दान विभाग
- दीवान-ए-इश्तिहाक़ - पेंशन विभाग
- दीवान-ए-बंदगान - दास विभाग
- दार-उल-शफा - अस्पताल
- लोक निर्माण विभाग भी बनवाया था।
- फिरोज शाह तुगलक के दरबार में सबसे ज्यादा गुलाम थे।
- प्रथम नहर गयासुद्दीन तुगलक के द्वारा बनवाई गई थी।
- सर्वाधिक नहर बनवाने वाला सुल्तान फिरोज शाह तुगलक था।
- वह यमुना सतलुज और घग्गर नदियों से 11 नहरें बनवाता है।
- प्रमुख दो नहर उलुगखानी और राजवानी थी।
- फिरोज शाह तुगलक पहले सुल्तान थे जो ब्राह्मणों पर जजिया कर लगता है।
- इसने फ़िरोज़ाबाद, हिसार, फतेहाबाद,फिरोजपुर,जुना खान की याद में जौनपुर नगर बसाई थी।
- एलफिंस्टन ने इसे सल्तनत काल का अकबर कहा था।
- इसे कल्याणकारी निरंकुश शासक भी कहा जाता है।
इसी दौरान वह भरौच जो यूपी में है वह जाता है , और वापस आने पर सभी कुछ त्याग कर पूरे भारत को इस्लाम बनाने का प्रतिज्ञा करता है। और ब्राह्मणों पर जजिया कर बढ़ा देता है, मंदिरों को तोड़ देता है।
ज्वाला देवी मंदिर की तोड़कर वहां की सारी वैदिक किताबों को फारसी में अनुवाद करवाता है और सभी का नाम दलायत-ए-फिरोजशाही रखता है।
1388 में फिरोज शाह तुगलक की मौत हो जाती है।
1388 से 1414 AD
इसकी मौत के बाद कोई भी शासक उतना सक्षम नहीं था कि गद्दी को संभाल सके।
फिरोज़ शाह तुगलक के बाद गद्दी पर तुगलक शाह बैठता है, जो फिरोज शाह तुगलक का पोता था।
फिरोज शाह का बेटा फतह खान था, फतह खान का बेटा तुगलक शाह था।
यह 1388 में गद्दी पर बैठता है, और अपना नाम गयासुद्दीन तुगलक़ द्वितीय रखता है।
इसके बाद अबू बक्र , इसके बाद नुसरत शाह और नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह मिलकर दिल्ली का शासन चलते है।
इस दौरान भारत के शासक काफी कमजोर हो जाते है, और बाहरी शक्तियों का आक्रमण होता है।
1398 इश्वि ने समरकंद के शासक तैमूर लंग का हमला दिल्ली पर होता है।
- तैमूर के हमला पर दिल्ली के दोनों शासक (नुसरत शाह और नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह) भाग जाते है और तैमूर दिल्ली में काफी लूटमार मचाता है।
- नुसरत शाह और नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह, मल्लू खान की मदद से दिल्ली की गद्दी दुबारा पा लेते हैं।
- दौलत खान इन सबकी व्यवस्थाओ पर पानी फेर देता है और दिल्ली पर कब्ज़ा कर लेता है।
- तैमूर लंग वापस जाते वक़्त , खिज्र खान को मुल्तान,दीपालपुर,और लाहौर सौंप कर जाता है।
- खिज्र खान, दौलत खान को मारकर एक नए राजबंश सैयद बंश की स्थापना करता है।