आमाशय (Stomach)
- लम्बाई - 25 cm
- यह जठर रस (gastric juice)का स्राव करता है।
- जठर रस (gastric juice) पिले रंग का होता है।
- जठर रस (gastric juice) का pH मान 1 . 5 होता है
जठर रस (gastric juice) में पेप्सिन , रेनिन , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पानी होता है।
पेप्सिन (Pepsin)
- भोजन में मौजूद प्रोटीन का पाचन करता है
- प्रोटीन को पेप्टाइड में बदल देता है
रेनिन (Renin)
- यह दूध में मौजूद कैसीन (casein) का पाचन करता है
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (Hydrochloric acid)
- यह पेप्सिन (pepsin) और रेनिन (renin) के काम करने लायक अम्लीय माध्यम (acidic medium) बनाता है।
जल (water)
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को सान्द्र (concentrate) बनाने के लिए ताकि हमारे पेट को कोई नुक्सान ना हो
हमारे अमाशय की दीवारों पर म्यूकस (mucus) की एक परत पायी जाती है जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को अमाशय की दीवारों तक पहुंचने से रोकता है।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अधिकता के कारन कभी कभी यह अमाशय की दीवारों तक पहुंच जाता है और अमाशय की दीवारों को क्षतीग्रस्त कर देता है इस स्थिति में हमे अल्सर (ulcers) बिमारी हो जाती है।
जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव ज्यादा होता है तो एसिडिटी (acidity) होने लगता है , इसे ख़त्म करने के लिए एण्टाएसिड (anta acid) का इस्तेमाल किया।
छोटी आंत ( small intestine)
- इसकी लम्बाई 22 फ़ीट या 6 -7 मीटर लम्बी होती है।
छोटी आंत में भोजन पहुंचने से पहले तीन सहायक अंग सक्रिय हो जाते हैं
यकृत (Liver )
- यह पित्त रस (bile juice) का स्राव करता है
- इसका pH मान 7 . 7 होता है
- यह भोजन को क्षारीय बनाता है
- यह वसा (fat) का पाचन करता है
- पित्त रस (bile juice) में किसी भी प्रकार का कोई एंजाइम नहीं पाया जाता है।
पित्ताशय (gall bladder )
- यह पित्त रस को जमा करने का काम करता है।
अग्नयाशय (Pancreas )
- यह अग्नयाशयी रस (pancreatic juice) का स्राव करता है
- छोटी आंत में सबसे पहले अग्नयाशयी रस आकर मिलता है और कार्बोहायड्रेट , वसा और प्रोटीन तीनों का पाचन करता है।
- इसका pH मान 7 . 5 से 8 . 3 तक होता है।
- इसे पूर्ण पाचक रस भी कहा जाता है।
अग्नयाशयी रस (Pancreatic juice)
- एमाइलेज (Amylase)- यह ग्लायकोजन का पाचन करता है।
- लाइपेज (Lipase) - यह वसा का पाचन करता है।
- ट्रिप्सिन (Trypsin) - यह प्रोटीन को पचाता है।
छोटी आंत का ग्रहणी (Duodenum ) आंत्र रस का स्राव करता है जो कार्बोहायड्रेट तथा प्रोटीन का पाचन करता है।
छोटी आंत के मध्यांत्र (Jejunum ) में भोजन लगभग 3 -4 घंटे रहता है।
यहां तक भोजन में मौजूद
- कार्बोहायड्रेट - मोनोसैकराइड में
- प्रोटीन - एमिनो एसिड में
- वसा - वसीय अम्ल
इसके बाद भोजन शेषान्त्र ( Ilium ) में पहुँचता है
- इसने ऊंगलीनुमा संरचना पायी जाती है जिसे रसांकुर (Villi ) कहते हैं
- रसांकुर (Villi ) पोषक तत्वों (nutrients) का अवशोषण करता है।
- ये पोषक तत्व रक्त के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक पंहुचा दिया जाता है।
- भोजन का पूर्ण पाचन छोटी आंत में होता है।
- छोटी आंत के द्वारा एक दिन में लगभग 6 -7 लीटर आंत्र रस का श्राब होता है।
- इसका स्राव यकृत (liver) के द्वारा होता है।
- इसका pH मान 7 . 7 होता है।
- यह भोजन को क्षारीय बनाता है
- यह हरे पिले रंग का चिपचिपा द्रव होता है।
- हरा रंग बिलीबर्डिन (Biliberdine ) के कारण होता है।
- पीला रंग बिलिरूबीन (Bilirubin ) के कारण होता है।
- कोलेस्ट्रॉल के कारण यह चिपचिपा होता है।
- पित्त रस के ज्यादा स्राव से कोलेस्ट्रॉल बढ़ेगा जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
- बिलीबर्डिन ( Biliverdin ) और बिलिरूबीन (Bilirubin ) को पित्त वर्णक कहा जाता है।
- बिलीबर्डिन ( Biliverdin ) और बिलिरूबीन (Bilirubin ) RBC के नष्ट होने से बनते हैं।
- अगर हमारे रक्त में बिलीबर्डिन ( Biliverdin )और बिलिरूबीन (Bilirubin ) की मात्रा बढ़ रही है तो इसका मतलब है की RBC ज्यादा नष्ट हो रहे हैं।
- RBC ज्यादा नष्ट हो रहे हैं इसका मतलब यकृत ठीक से काम नहीं कर रहा है।
- इसके फलस्वरूप पीलिया ( jaundice) रोग हो जायेगा
- यह पित्त रस को जमा करने का काम करता है।
- कैल्शियम ऑक्सलेट (calcium oxalate) के कारण पित्ताशय (Gall bladder) में पथरी (Stone ) का निर्माण होता है।
- कैल्शियम ऑक्सलेट (calcium oxalate) , ऑक्सेलिक अम्ल वाले पदार्थो को खाने से हमारे शरीर में आता है।
- ऑक्सेलिक अम्ल (Oxalic acid) पालक ,टमाटर ,अमरुद, भिंडी आदि (जिसमे छोटे छूटे बीज पाए होते हैं ) में मिलता है।
- ऑक्सेलिक अम्ल (Oxalic acid) की मात्रा बढ़ने से कैल्शियम ऑक्सलेट (calcium oxalate) बनता है और पथरी के रूप में पित्ताशय (Gall bladder) में जमा हो जाता है।
- इसके फलस्वरूप पित्त रस का जमाव पित्ताशय (Gall bladder) में नहीं हो पाता है जिस वसा का पाचन अच्छे से नहीं हो पाता है।
- एंडोस्कोपी (Endoscopy) के जरिये पथरी (Stones) का इलाज़ किया जाता है।
