उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)

उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)

  • यह एक अपचयी प्रक्रिया (catabolic process) है।
  • इसमें जैविक और नाइट्रोजेनॉस (nitrogenous) अवशिष्ट पदार्थ निकलते है। 
  • हमारे शरीर में प्रोटीन के पाचन के फलस्वरूप अमीनो अम्ल (amino acids) बनता है 
  • अमीनो अम्ल के पाचन के फलस्वरूप अमोनिया (ammonia), यूरिक अम्ल (uric acid) और यूरिया (urea) बनता है 
  • यह तीनों में नाइट्रोजन (nitrogen) एक अपशिष्ट पदार्थ के रूप में मौजूद रहता है 
  • हमारा शरीर अमोनिया और यूरिक अम्ल को सीधा शरीर से बाहर नहीं निकाल सकता है 
  • इसे बाहर निकालने के लिए हमारे शरीर में यकृत (Liver) होता है 
  • यकृत (Liver) इन दोनों को यूरिया में बदल देता है और शरीर के बाहर एक अपशिष्ट पदार्थ के रूप में निकाल देता है
  • यूरिया का निर्माण हमारे शरीर में यकृत (Liver) में होता है 
  • यूरिया भी एक प्रकार का नाइट्रोजेनस अपशिष्ट पदार्थ  है  
  • यूरिया हमारे शरीर से मूत्र (Urine) के रूप में बाहर निकलता है 
  • यूरिया को मूत्र में बदलने के लिए हमारे शरीर में वृक् (Kidney)अंग होता है 
  • हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जित अंग वृक् (Kidney) है
  • हमारे रक्त में यूरिया की उचित मात्रा 20 से 40 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर होता है
  • अगर किसी कारण बस हमारा वृक् (Kidney) ढंग से काम नहीं करता है और रक्त को अच्छी तरह से फिल्टर नहीं करता है तो हमारे रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ जाएगी 
  • यूरिया की मात्रा बढ़ने पर हमें यूरिमिया (Uremia) नामक एक बीमारी हो जाएगी

उत्सर्जी अंग 

वृक् (Kidney) - सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जित अंग

यकृत (Liver) - यूरिया का निर्माण 

त्वचा 

  • त्वचा के द्वारा हमारे शरीर में लवन, खनिज और पानी अपशिष्ट पदार्थ के रूप में बाहर निकलता है
  • इनका उत्सर्जन हमारे त्वचा पर मौजूद ग्रंथियों के द्वारा होता है
  • स्वेद ग्रंथियों के द्वारा पसीने का स्त्राव हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है

फेफड़ा 

  • फेफड़े के द्वारा गैसीय अपशिष्ट पदार्थ हमारे शरीर से बाहर निकाले जाते हैं 
  • जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन इत्यादि

बड़ी आत 

  • बड़ी आत हमारे शरीर से ठोस अपशिष्ट पदार्थ या अनपचा खाना बाहर निकालता है

उत्सर्जन तीन प्रकार के होते हैं 

अमोनिया उत्सर्जन (Ammonotelism)

  • जब नाइट्रोजन का उत्सर्जन अमोनिया के रूप में हो रहा हो  
  • अमोनिया उत्सर्जन करने वाले जीव को एमिनोटेलीक  कहा जाता है 
  • मछली सांप प्रोटोजोआ उभयचर

यूरिया उत्सर्जन (Ureotelism)

  • जब नाइट्रोजन का उत्सर्जन यूरिया के रूप में हो रहा हो
  • मानव शरीर में यूरिया का उत्सर्जन होता है इसलिए इसे यूरियोटलिक जीव कहा जाता है
  • मनुष्य मेंढक स्तनधारी

यूरिक अम्ल उत्सर्जन (Uricotelism)

  • जब नाइट्रोजन का उत्सर्जन यूरिक अम्ल के रूप में हो रहा हो
  • यूरिक अम्ल उत्सर्जन करने वाले जीव को यूरिकोटेलिक कहा जाता है 
  • कीड़े- मकोड़े, पक्षियां, मकड़ी
  • उत्सर्जक उत्पाद के रूप में यूरिक एसिड का उत्सर्जन करता है
  • मकड़ी या कीड़े मकोड़े के उत्सर्जी पदार्थ में गुआनिन ( Guanin ) नामक पदार्थ पाया जाता है
  • कीड़े मकोड़ों के अध्ययन को एंटोमोलॉजी (Entomology) कहा जाता है
मानव मूत्र प्रणाली का प्रमुख घटक
  1. गुर्दा (Kidney)
  2. गुर्दे की धमनी (Renal artery)
  3. गुर्दे की नस (Renal vein)
  4. मूत्रवाहिनी (Ureter)
  5. मूत्राशय (Urinary bladder)
  6. Ring of muscles
  7. मूत्रमार्ग (Urethra)
वृक् (Kidney)

वृक्क पेरिटोनियम झिल्ली (Peritoneum membrane) के अंदर मौजूद होता है 

  • हमारे शरीर में दो किडनी होती है
  • आकार बींस (Beans) के जैसा होता है 
  • लाल भूरे (Reddish brown) रंग का
  • बाहरी सतह उत्तल (Convex)
  • अंदरूनी सतह अवतल (Concave)
  • प्रत्येक का वजन लगभग 125 से लेकर 170 ग्राम तक होता है
  • वृक्क का रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई नेफ्रॉन (Nephron) है। 
  • वृक्क के अध्ययन को नेफ्रोलॉजी (Nephrology) कहा जाता है। 
  • ज्यादा कठिन काम करने या शराब पिने से वृक्क ख़राब हो सकते हैं 
  • हम एक वृक्क के साथ भी जिन्दा रह सकते हैं। 
  • अगर दोनों वृक्क ख़राब हो जाये तो आपको डाइलिसिस (Dialysis)की जरुरत 
  • रीनल (Renal) शब्द किडनी से सम्बंधित है। 
  • किडनी एक  दिन में 180 लीटर रक्त शुद्ध करता है। 
  • किडनी एक  दिन में 1.5 लीटर मूत्र  का निर्माण करता है। 
  • वृक्क को जैविक प्रयोगशाला (Biological laboratory) भी कहा जाता है। 

वृक् (Kidney) के तीन भाग होते हैं 

  • रीनल कोर्टेक्स (Cortex) - नेफ्रॉन पाए जाते हैं
  • रीनल  मेडुला (Medulla)
  • रीनल पेल्विस (Pelvis) 

वृक्क के ऊपरी परत को रीनल कोर्टेक्स (Cortex) कहा जाता है 

कोर्टेक्स के द्वारा तीन तरह के हार्मोन श्रावित होते हैं.

  • कार्डिजौल
  • एलडेस्टेरॉन (Aldosterone) - रक्त में लवण और जल की मात्रा को नियंत्रित करता है। 
  • सेक्सकॉर्टिकोड  (Sexcorticode) - लैंगिक गुण के लिए उत्तरदायी होता है। 

वृक्क के मध्य परत को रीनल  मेडुला (Medulla) कहा जाता है 

मेडुला के द्वारा दो तरह के हार्मोन श्रावित होते हैं.

एड्रिनलिन - 

  • दिल  की धड़कन को नियंत्रित करता है 
  • गुस्सा दिलाने का काम करता है 
  • सम्बेदना जागृत करना
  • ख़ुशी जागृत करना  

नार एड्रिनलिन - 

  • गुस्सा कम करने का काम करता है। 
  • सम्बेदना को नियंत्रित करना 
  • ख़ुशी को नियंत्रित करना 

वृक्क के अंदरूनी भाग  को रीनल पेल्विस (Pelvis) कहा जाता है 

यह मूत्र का संग्रह करता है। 

नेफ्रॉन कोशिका (Nephron)

  • इसका आकर एक कैप्सूल (Capsule) का जैसा होता है 
  • इस कैप्सूल को बोमन सम्पुट (Bowman capsule ) कहते हैं 
  • नेफ्रॉन के अंदर रक्त का  शुद्धिकरण ग्लोमेरुलस (Glomerulus) के द्वारा किया जाता है। 
  • एक वृक्क में 15 लाख नेफ्रॉन्स होते हैं। 
  • अभिवाही धमनिका (Afferent arteriole) के द्वारा रक्त ग्लोमेरुलस के अंदर  आता है 
  • ग्लोमेरुलस रक्त के अंदर मौजूद अवशिष्ट पदार्थ को छानकर (filters) मूत्र वाहिनी ((Ureter)) में भेज देता है 
  • शुद्ध रक्त अपवाही धमनिकाओं (Efferent arteries) के द्वारा वृक्क से बाहर निकल जाता है। 

गुर्दे की धमनी (Renal Arteries)से गन्दा खून वृक्क में आता है और गुर्दे की नस (Renal Vein) से शद्ध होकर निकल जाता है। 

गुर्दे की धमनी ( renal artery )

  • इसमें गंदे रक्त के साथ ऑक्सीजन , यूरिया और लवण मौजूद होते हैं 

गुर्दे की नस (renal vein)

  • इसमें शुद्ध रक्त के साथ कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होते हैं 

मूत्रवाहिनी (Ureter)

  • यह मूत्र को मूत्राशय (urinary bladder) में ले जाने का काम करता है। 

मूत्राशय (urinary bladder)

  • इसमें मूत्र जमा होता है 
  • जब यह तीन चौथाई भर जाता है तो हमे पेशाब करने की इच्छा होती है। 

Ring of muscles

  • मूत्रमार्ग (Urethra) के बंद होने और खुलने को नियंत्रित करता है

मूत्र 

  • मूत्र का pH मान - 6 

मूत्र  संगठन 

  1. जल - 95 %
  2. यूरिया - 2 - 3 %
  3. लवण और अन्य पदार्थ 

मूत्र का पीला रंग यूरोक्रोम के कारण होता है। 

यूरोक्रोम का निर्माण हीमोग्लोबिन के नष्ट होने से होता है। 

क्रिएटिनिन पदार्थ सामान्यत: मूत्र में पाया जाता है

मूत्र में अमोनिया और हाइड्रोजन सल्फाइड के कारण गंध आती है। 

मूत्र में विटामिन C पाया जाता है। 

मूत्र की मात्रा को ADH (Anti - Di - Uretic ) हार्मोन नियंत्रित करता है। 

  • किडनी में पथरी (Stones) कैल्शियम ऑक्सलेट के कारन बनता है। 
  • पथरी (Stones) को दूर करने में मैग्नीशियम नामक तत्व मदद करता है। 
  • अमोनिया हमारे शरीर का सबसे विषैला पदार्थ है 

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