भारत में छापामार युद्ध या गोरिल्ला युद्ध के जनक महाराणाप्रताप थे .
अकबर के अभियान
गुजरात अभियान
- 1542 AD
- ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण - स्मिथ के द्वारा कहा गया था
- राजा महमूद शाह द्वितीय को हराया
टुकरोई युद्ध
- 1575 AD
- बंगाल और बिहार विजय
- इसे गौड़ विजय भी कहा जाता है
- दाऊद खान और मुनीम खान अकबर के सेनापति थे
अकबर की उत्तर पच्छिम विजय
काबुल विजय
- 1581
- राजा हाकिम मिर्जा को हराया
कश्मीर विजय
- 1585-86 AD
- युसूफ खान को हराया
थट्टा या सिंध विजय
- 1591 AD
- जानिबेग को हराया
- बीरबल की मौत सिंध के यूसुफजई जाती को हारते वक़्त हुई थी।
अकबर की दक्षिण भारत का विजय
- प्रथम मुग़ल शासक जिसने दक्षिण भारत जीता
- दक्षिण भारत विजय के बाद सम्राट की पदवी धारण की
अहमदनगर विजय
- 1593 AD
- चाँद बीबी को हराया
- असीरगढ़ के किले को अकबर सोने की चाभी से खोलता है (1601 AD)
- वीजापुर गोलकुंडा खान देश पर आसानी से अधिकार कर लिया
अकबर की धार्मिक नीति
सुलह ए कुल की नीति
अकबर के गुरु
- अब्दुल लतीफ़
- शेख अब्दुल नवी
- शेख सलीम चिस्ती
इवादत खाने की स्थापना
- 1576 AD में इवादत खाने की स्थापना की जिसमे हर गुरुबार को धार्मिक चर्चा होती थी।
- 1578 AD में इस इवादत खाने को सभी धर्मो के लिए खोल दिया
- इवादत खाना फतेहपुर सिकरी में बनवाया था।
मजहर दस्तावेज़
- 1579 AD
- अकबर द्वारा मजहर की घोसना - धार्मिक मामलों में मतभेद होने पर अंतिम फैसला सम्राट का होगा
- मजहर का मसौदा शेख मुबारक के द्वारा तैयार किया गया था।
- इस समय अकबर ने इमाम ए आदिल की उपाधी धारण की थी।
दिन ए इलाही
- 1582 AD
- अबुल फज़ल ने इसे तौहीद ए इलाही कहा था ।
- इसकी दिक्षा अकबर खुद रविबार को देता था ।
- इसे एक मात्र हिन्दू शासक बीरबल के द्वारा अपनाया गया था।
- इतिहास में इसे आचार संहिता कहा जाता है।
- स्मिथ ने इसे अकबर की मूर्खता का स्मारक या साम्राज्यबाद का तगमा कहा था।
1583 AD में इलाही सम्वत चलाया ।
अकबर ने अपने शासन काल में
- नमाज़ के लिये सिल्क कपडा बनवाया गया था
- रोजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
- मोहम्मद और अकबर नाम रखने पर रोक लगा दिया था।
- दाढ़ी बढ़ाने पर रोक लगा दिया था।
- बूचड़खाना बंद करवा दिया था।
- स्वर्ण मंदिर के दिए दान दिया था।
- ईसाईयों को चर्च बनाने की मजूरी दी थी।
- हरविजय सिंह को जगत गुरु की उपाधि दी थी।
- इस कारण उलेमाओं ने इसे इस्लाम का वरोधी कहा था।
मुद्रा व्यवस्था में अकबर ने शर शाह का अनुसरण किया था।
राम सिया प्रकार के सिक्के
चांदी के सिक्के -
- गोल सिक्के - रूपया
- बर्गाकार सिक्के - जलाली
सोने के सिक्के
- मुहर
- इलाही
- सबसे बड़ा सिक्का - संसब
ताम्बे के सिक्के - दाम या फलूस
मुद्रा की शुद्धता के लिए दरोगा ए टकसाल या सराफ नियुक्त किया था।
- दर्ब - 1/2 रुपया
- चरन - 1/4 रुपया
- अष्ट - 1/8 रुपया
- कला - 1/16 रुपया
- जीतल - 1/25 दाम
सिक्कों की देखरेख चौधरी करता था तथा इसी देखरेख में सिक्के बनते थे।
अकबर की भू राजस्व व्यवस्था
भूमि के प्रकार
- खालसा भूमि - राजा के अधिकार की भूमि (आगरा और दिल्ली की भूमि )
- जागीर भूमि - तनख्वाह के बदले सेवा निर्वित लोगो को दी जाने वाली भूमि
- मदद ए माश - अनुदान से मिली भूमि
पहला प्रयोग
- 1563 AD
- ऐतमाद खान खान को प्रमुख बनाया
- आगरा और दिल्ली की भूमि पर कर बसूली के लिए
- बड़े भूमि को 18 परगने में बांटा
- एक परगन - एक करोड़ दाम या सिक्का (2.5 लाख )
दूसरा प्रयोग
- 1564 AD
- मज़फ़्फ़र खान को मुख्य दीवान नियुक्त किया
- सहायक टोडरमल को बनाया
- कर के रूप में नकद के साथ अनाज भी लेने की व्यस्वस्था पर विचार
- उज़्बेक आक्रमण के कारण कुछ नहीं हो पाया
तीसरा प्रयोग
- 1569 AD
- शिहाबुद्दीन को दीवान बनाया
- नस्क़ या कंतुत प्रणाली चलाया
- इसमें खड़ी फसल के अनुसार किसी बुजुर्ग के कहने पर कर लिया जाता था
चौथा प्रयोग
- 1570 AD
- राजा टोडरमल को दीवान बनाया
- गुजरात की भूमि का सर्वेक्षण किया
- भूमि की गुणवत्ता के अनुसार कर लगाया
पांचवां प्रयोग
- 1582 AD
- राजा टोडरमल को शाही दीवान बनाया
- आईंन ए दहसाला या जब्ती प्रणाली चलायी
- इसे टोडरमल बंदोबस्त भी कहा जाता है
- भूमि को पोलज , पार्टी , चाचर और बंज़र भूमि में बाँट दिया गया
- उपज का एक तिहाई वसूला जाता था
- इसे दस वर्ष में संशोधन किया जाता था।
भूमि मापने के लिए इलाही गज़ या सिकंदरी गज़ बनवाया था।
मनसबदारी व्यवस्था
- अकबर ने शुरू किया था
- 5000 या उससे ज्यादा मनसब - राजा के बंशज को
- 5000 से कम मनसब - किसी भी सामान्य जन को
- मुग़ल सेना के उच्च अधिकारी को मनसबदार कहा जाता था।
- मनसबदार अपनी तनख्वाह नकद या जागीर के रूप में लेते थे।
- मनसब शब्द चंगेज़ खान (मंगोल) की सैन्य व्यवस्था से आयी थी।
- मनसब प्रथा दाशमिक प्रणाली पर आधारित थी।
ख़ुदकाश्त, पाहिकाश्त और मुजारियान ये कृषको के प्रकार हैं।
 
 
