MUGHAL SULTNATE - AKBAR -PART 2-(1556-1605 AD)

                            

भारत में छापामार युद्ध या गोरिल्ला युद्ध के जनक महाराणाप्रताप थे .

अकबर के अभियान 

गुजरात अभियान 

  • 1542 AD
  • ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण - स्मिथ के द्वारा कहा गया था
  • राजा महमूद शाह द्वितीय को हराया

टुकरोई युद्ध

  • 1575 AD
  • बंगाल और बिहार विजय
  • इसे गौड़ विजय भी कहा जाता है 
  • दाऊद खान और मुनीम खान अकबर के सेनापति थे

अकबर की उत्तर पच्छिम विजय

काबुल विजय 

  • 1581
  • राजा हाकिम  मिर्जा को हराया

कश्मीर विजय

  • 1585-86 AD
  • युसूफ खान को हराया

थट्टा या सिंध विजय

  • 1591 AD
  • जानिबेग को हराया
  • बीरबल की मौत सिंध के यूसुफजई जाती को हारते वक़्त हुई थी। 

अकबर की दक्षिण भारत का विजय

  • प्रथम मुग़ल शासक जिसने दक्षिण भारत जीता
  • दक्षिण भारत  विजय के बाद सम्राट की पदवी धारण की

अहमदनगर विजय

  • 1593 AD
  • चाँद बीबी को हराया
  • असीरगढ़ के किले को अकबर सोने की चाभी से खोलता है (1601 AD)
  •  वीजापुर  गोलकुंडा खान देश  पर आसानी से अधिकार कर लिया

अकबर की धार्मिक नीति

सुलह ए कुल की नीति

अकबर के गुरु

  • अब्दुल लतीफ़
  • शेख अब्दुल नवी
  • शेख सलीम चिस्ती

इवादत खाने की स्थापना

  • 1576 AD  में इवादत खाने की स्थापना की जिसमे हर गुरुबार को धार्मिक चर्चा होती थी। 
  • 1578 AD  में इस इवादत खाने को सभी धर्मो के लिए खोल दिया
  • इवादत खाना फतेहपुर सिकरी में बनवाया था। 

मजहर दस्तावेज़ 

  • 1579 AD
  • अकबर द्वारा मजहर की घोसना - धार्मिक मामलों में मतभेद होने पर अंतिम फैसला  सम्राट  का होगा
  • मजहर  का मसौदा शेख मुबारक के द्वारा तैयार किया गया था। 
  • इस समय अकबर ने इमाम ए आदिल  की उपाधी धारण की थी। 

दिन ए इलाही 

  • 1582 AD
  • अबुल फज़ल ने इसे तौहीद ए इलाही  कहा था । 
  • इसकी दिक्षा अकबर खुद रविबार को देता था । 
  • इसे एक मात्र हिन्दू शासक बीरबल के द्वारा अपनाया गया था। 
  • इतिहास में इसे आचार संहिता कहा जाता है। 
  • स्मिथ ने इसे अकबर  की मूर्खता  का स्मारक या साम्राज्यबाद  का तगमा  कहा था। 

1583 AD में इलाही सम्वत चलाया । 

अकबर ने अपने शासन काल में 

  • नमाज़ के लिये सिल्क कपडा बनवाया गया था 
  • रोजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। 
  • मोहम्मद और अकबर नाम रखने पर रोक लगा दिया था। 
  • दाढ़ी बढ़ाने  पर रोक लगा दिया था। 
  • बूचड़खाना बंद करवा दिया था। 
  • स्वर्ण मंदिर के दिए दान दिया था। 
  • ईसाईयों को चर्च बनाने की मजूरी दी थी। 
  • हरविजय सिंह को जगत गुरु की उपाधि दी थी। 
  • इस कारण  उलेमाओं ने इसे इस्लाम  का वरोधी कहा था। 

अकबर की मुद्रा व्यवस्था

मुद्रा व्यवस्था में अकबर ने शर शाह का अनुसरण किया था। 

राम सिया प्रकार के सिक्के

चांदी  के सिक्के - 

  • गोल सिक्के -  रूपया 
  • बर्गाकार सिक्के -  जलाली 

सोने के सिक्के

  • मुहर 
  • इलाही  
  • सबसे बड़ा सिक्का - संसब 

ताम्बे के सिक्के - दाम या फलूस 

मुद्रा की शुद्धता के लिए दरोगा ए टकसाल या सराफ नियुक्त किया था। 

  • दर्ब - 1/2  रुपया 
  • चरन - 1/4 रुपया 
  • अष्ट - 1/8 रुपया 
  • कला - 1/16 रुपया 
  • जीतल - 1/25 दाम 

सिक्कों की देखरेख चौधरी करता था तथा इसी देखरेख में सिक्के बनते थे। 


अकबर की भू राजस्व व्यवस्था

भूमि के प्रकार 

  • खालसा भूमि - राजा के अधिकार की भूमि (आगरा और दिल्ली की भूमि )
  • जागीर भूमि - तनख्वाह के बदले सेवा निर्वित लोगो को दी जाने वाली  भूमि 
  • मदद ए माश - अनुदान से मिली भूमि 

पहला प्रयोग 

  • 1563 AD
  • ऐतमाद खान  खान को प्रमुख बनाया 
  • आगरा और दिल्ली की भूमि पर कर बसूली के लिए 
  • बड़े भूमि को 18 परगने में बांटा 
  • एक परगन - एक करोड़ दाम या सिक्का (2.5 लाख )

दूसरा प्रयोग 

  • 1564 AD
  • मज़फ़्फ़र खान को मुख्य  दीवान नियुक्त किया 
  • सहायक टोडरमल को बनाया 
  • कर के रूप में नकद के साथ अनाज भी लेने की व्यस्वस्था पर विचार 
  • उज़्बेक आक्रमण के कारण  कुछ नहीं  हो पाया 

तीसरा प्रयोग 

  • 1569  AD
  • शिहाबुद्दीन को दीवान बनाया 
  • नस्क़ या कंतुत प्रणाली चलाया 
  • इसमें खड़ी  फसल के अनुसार किसी बुजुर्ग के कहने पर कर लिया जाता था 

चौथा प्रयोग 

  • 1570 AD
  • राजा टोडरमल को दीवान बनाया 
  • गुजरात की भूमि का सर्वेक्षण किया 
  • भूमि की गुणवत्ता के अनुसार कर लगाया 

पांचवां प्रयोग 

  • 1582 AD
  • राजा टोडरमल को शाही दीवान बनाया 
  • आईंन ए दहसाला या जब्ती प्रणाली चलायी 
  • इसे टोडरमल बंदोबस्त  भी कहा जाता है 
  • भूमि को पोलज , पार्टी , चाचर  और बंज़र भूमि में बाँट दिया गया 
  • उपज का एक तिहाई वसूला जाता था 
  • इसे दस वर्ष में संशोधन किया जाता था। 

भूमि मापने के लिए इलाही गज़ या सिकंदरी गज़ बनवाया था। 

मनसबदारी व्यवस्था 

  • अकबर ने शुरू किया था 
  • 5000 या उससे ज्यादा मनसब - राजा के बंशज को 
  • 5000 से कम मनसब - किसी भी सामान्य जन  को 
  • मुग़ल सेना के उच्च अधिकारी को मनसबदार कहा जाता था। 
  • मनसबदार अपनी तनख्वाह नकद या जागीर के रूप में लेते थे। 
  • मनसब शब्द चंगेज़ खान (मंगोल) की सैन्य व्यवस्था से आयी थी। 
  • मनसब प्रथा दाशमिक प्रणाली पर आधारित थी। 

ख़ुदकाश्त, पाहिकाश्त और मुजारियान ये कृषको के प्रकार हैं। 

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.