
लखनऊ
- लखनऊ की कमान बेगम हजरत महल संभाल रही थी
- बेगम हजरत महल ने अपने सारी प्रशिक्षित लड़कियों को लखनऊ की सुरक्षा में लगा रखा था
- अंग्रेजों से बेगम हजरत महल और उनके लड़कियों की काफी अच्छी लड़ाई हुई पर अंग्रेजों की स्थिति काफी मजबूत थी
- बेगम हजरत महल अपनी निवास (Residency) में ही करीब ढाई लोगों के साथ अंदर नहीं अंग्रेजों पर गोली चला रही थी
- लेकिन अंग्रेजों ने उनके निवास (Residency) में ही आग लगा दी
बेगम हजरत महल ने अपने पुत्र बिरजिस कादिर का नवाब घोषित किया
- लखनऊ के विद्रोह में अंग्रेजी अधिकारी हेनरी लॉरेंस मारा गया था
- लखनऊ के ब्रिगेडियर जेम्स आउट्रम और हेनरी हैवलॉक ने लखनऊ के विद्रोह को संभालने की काफी कोशिश की पर संभाल नहीं पाया
- अब नए ब्रिटिश कमांडर इन चीफ कॉलिन कैम्पवेल को बुलाया जाता है
- और आते ही गोरखा रेजीमेंट की मदद से सब को मारना शुरू किया और सब को मौत के घाट उतार दिया
- मार्च 18 तक सारी स्थितियां अपने नियंत्रण में कर ली
किसी तरह बेगम हजरत महल अपने सहयोगियों के साथ बचते बचाते जंगली रास्तों से होते हुए नेपाल की तरफ चली गई थी
बरेली
- नेतृत्व करता - खान बहादुर खान
- अंग्रेजों ने उनको पेंशन देना बंद कर दिया था
- अपने आप को बरेली का सम्राट घोषित करते हैं
- बरेली के विद्रोह को अंग्रेजों ने आसानी से खत्म कर दिया
बिहार
- नेतृत्व करता - कुंवर सिंह
- रियासत जगदीशपुर के जमींदार
- यह 70 वर्ष के नौजवान थे
- अंग्रेजों के इन्होंने दांत खट्टे कर दिए थे
- ब्रिटिश शासन को इन्होंने कड़ी चुनौती दी थी
फैजाबाद
- फैजाबाद में मौलवी अहमदुल्लाह ने कमान संभाल रखी थी
झांसी
तात्या टोपे कानपुर से लखनऊ होते हुए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने को जा रहा था
- झांसी की रानी लक्ष्मी बाई झांसी की कमान संभाल रखी थी
- कानपुर से तात्या टोपे झांसी पहुंच चुके हैं
- लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से कह दिया है कि हम आपको झांसी किसी भी कीमत पर नहीं देंगे
- लक्ष्मीबाई गंगाधर राव की विधवा है
- गंगाधर राव के मृत्यु के बाद झांसी झांसी लक्ष्मी बाई कमान संभालती है
- अब झांसी में कोई भी अंग्रेज कदम रखने को राजी नहीं था
रानी लक्ष्मीबाई की मदद तात्या टोपे कर रहे थे
जून 1818 AD तक ग्वालियर पुनः अंग्रेजो के कब्जे में हो गया और लक्ष्मी बाई झांसी छोड़ना पड़ा
झांसी की रानी मुख्यतः तीन घोड़े प्रयोग करती थीं जिनका नाम क्रमशः पवन, बादल और सारंगी था
ग्वालियर के सिंधिया ने धोखा दिया और अंग्रेजों के साथ हो गया
- लड़ाई में अपने दत्तक पुत्र को पीट पर बांधा
- दांतो से घोड़े को लगाम पकड़ा और दोनों हाथों से तलवार चलाने लगी
- जिधर से गुजरती रास्ता साफ कर देती
- रानी का घोड़ा थक गया था, और एक नाला पार करते समय घायल हो गया
- रानी लक्ष्मी बाई ने अपने पवन घोड़े का प्रयोग अंतिम समय तक किया
- रानी लक्ष्मी बाई ने स्वर्णरेखा नदी के किनारे अपनी अंतिम सांस ली
- तात्या टोपे भी पूरी मदद नहीं कर पा रहा था क्योंकि सिंधिया ने धोखा दिया था
रानी ने सबसे पहले अपने पुत्र को खत्म किया और फिर खुद आत्महत्या कर ली
बड़ौत (उत्तर प्रदेश )
- नेतृत्व करता - शाहमल
- शाहमल रात रात भर गांव में दौड़ता था
- अपने भाषण से 84 गांव को इकट्ठा कर लिया था
- सभी ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी
- अंग्रेज गांव में घुस नहीं पाए इसलिए सड़के तोड़ दी गयीं
- गांव के सरकारी मकान तोड़ दिए तोड़ दिए गए
विद्रोह का दमन
विद्रोह का दमन विद्रोह के समय वायसराय लॉर्ड कैनिंग था
- इन्होंने अंग्रेजी सेनाएं बाहर से मंगवाई और निर्दयता पूर्वक विद्रोह का दमन किया
- उन्होंने विद्रोहियों को नहीं मारा बल्कि विद्रोहियों की मदद करने वाले को खत्म किया
- विद्रोही तो पहले ही लड़ते-लड़ते मर चुके थे
अगले अंग्रेजी अधिकारी जनरल ऐनशन थे
- इन्होंने फिरोजपुर जालंधर, अंबाला में इतनी निर्दयता दिखाई कि जनमानस चिक्कार उठा कि हमें छोड़ दो अब हम विद्रोह नहीं करेंगे
- गांव के गांव जला डाले गए
- सितंबर 1857 में दिल्ली में जॉन निकोलसन ने बहादुर शाह जफर के लड़कों को एकदम करीब से सिर में गोली मारी और लाल किले पर लटका दिया
विद्रोह दमन होने का कारण
- विद्रोह में सभी वर्ग के लोग शामिल नहीं थे
- कश्मीर के महाराजा पटियाला के शासक, सिंह सिख सरदार, ग्वालियर के सिंधिया इंदौर के होल्कर आदि विद्रोह में शामिल नहीं थे
- 10 लोगों में से सिर्फ एक ही विद्रोह कर रहा था
- संगठित विचारधारा की कमी थी
- निश्चित समय की प्रतीक्षा कर रहे थे
- विद्रोहियों की सूचना देकर भारतीय भारतीयों को ही मरवा रहे थे
- क्रांति सारे देश में एक साथ प्रसारित नहीं की गई थी
- विद्रोहियों के मुकाबले अंग्रेजों के पास काफी अच्छे हथियार थे
पर एक अच्छी बात थी हिंदू और मुस्लिम एक होकर लड़ रहे थे इससे लॉर्ड कैनिंग काफी चिंतित थे
 
 
