
मीरजाफर काफी खुश था और जमकर अंग्रेजों पर धन लुटा रहा था।
अंग्रेजों की निगाह अब बिहार और उड़ीसा पर थी।
- बिहार और ओडिशा के गवर्नर राम नारायण और राजा राम थे
- राम नारायण और राजा राम को उनके पद से मीरजाफर हटा देता है
- इसके बाद विवाद शुरू हो जाता है।
- जिसे दबाने के लिए मीरजाफर अंग्रेजों को काफी धन देता है।
- अंग्रेजो को मीरजाफर से इतना पैसा मिलता है कि वो अब आराम से भारत में 3 वर्ष तक व्यापार कर सकते थे।
रोबर्ट क्लाइव को 5 फरवरी 1760 AD में वापस इंग्लैंड बुला लिया जाता है
याद रहे मीरजाफर को नवाब , लॉर्ड क्लाइव ने बनाया था।
लॉर्ड क्लाइव के बाद हौलबेल भारत के अस्थाई गवर्नर बनकर आते हैं
हौलबेल
- हॉलबेल भारत सिर्फ पैसे लूटने आया था।
- हॉलवेल मीरजाफर को धमकी देता है कि मीरकासीम हामारी सारी शर्तें मानने को तैयार हैं अगर मैं उसे नवाब बना दूं।
- मीरजाफर से अपनी मांगे पूरी करने को कहते हैं।
मीरजाफर का पद खतरे में.........
मीरकासीम , मीरजाफर के दामाद था
बंगाल के स्थाई गवर्नर बनकर वेंसीटारट आते हैं
- इनको हैलवेल की योजना पसंद आती है।
- ये भी मीरजाफर से अपनी मांगे पूरी करने को कहते हैं।
- वेंसीटारट मीरजाफर से चटगांव, मिदनापुर, वर्धमान क्षेत्र की दीवानी मांगता है
- ये ऐसे क्षेत्र जहां से काफी राजस्व आता था।
- वेंसीटारट ने सिलहट के चुने व्यापार के आधा हिस्सा मीरजाफर से मांगा
- इसके अलावा 50000 पाउंड खुद के लिए,
- 27000 पाउंड हाऊलवेल के लिए तथा
- 25000 उपहार के रूप में मांगा था।
इससे मीरजाफर काफी परेशान था।
अंग्रेज़ मीरजाफर को हटाकर मीरकासीम नवाब बनाते हैं
अब हौलवेल और वेंसीटारट दोनों बंगाल को लूटने लगे।
मीरकासीम
- अपनी राजधानी मुंगेर बनाता है
- बंगाल अपने काबू में करने की कोशिश करने लगा।
- 1763 AD में घरेलू व्यापारियों को टैक्स फ्री व्यापार की अनुमति
- इसी कारण बंगाल के लोग इसे ईश्वर का दर्जा देते हैं
इस निर्णय के बाद अंग्रेज़ मीरकासीम को नवाब के पद से हटा देते हैं।
मीरकासीम के बाद बंगाल का नवाब मीरजाफर को बनता है
- मीरकासीम इसके बाद अंग्रेजो के विरूद्ध हो जाता है ।
- अंग्रेज़ उसे युद्ध की धमकी देते हैं जिससे मीरकासीम के सहयोगी उसके है विरूद्ध हो जाते हैं ।
- मीरकासीम मदद के लिए अवध जाता है
सूजाउदौला को मदद करने के बदले मीरकासीम उसे बिहार ,तीन करोड़ ,सैन्य खर्च देने का वादा करता है
सूजाऊदौला, शाह आलम के वज़ीर थे इसलिए वो उसकी मदद कर रहे थे।
अंग्रेज़ मीरजाफर से लिखित ये बात लेते हैं की अगर मीरकासीम युद्ध करता है तो आप हमारा साथ दोगे।
बक्सर का युद्ध
- 23 अक्टूबर 1764 AD
- पटना के करूनाशा नदी के पास
- बक्सर नमक स्थान पर
- अंग्रेजो की तरफ से हेक्टर मुनरो
- अंग्रेजो के विरूद्ध सुजाऊदौला, शाह आलम द्वितीय, मीरकासीम
- लड़ाई का नतीजा तीन घंटे में ही आ गया
- युद्ध के बीच में ही मीरकसीम भाग जाता है
बक्सर के युद्ध को अंग्रेजो द्वारा जितने के बाद
- मुगल बादशाह (शाह आलम द्वितीय) को उसके पद से हटा दिया गया
- सूजाऊदौला अवध के नवाब नहीं रहे
- अंग्रेजो का लगभग पूरे भारत पर कब्ज़ा
- इसके अलावा अब मुगल नरेश शासन नहीं करेंगे और सभी कंपनी के अंदर समझे जाएंगे।
इलाहाबाद की संधि
- 12 जुलाई 1765
- बंगाल के गवर्नर क्लाइव
- सुजाउद्दौला और शाह आलम
- इस संधि में बहुत सारा राजस्व अंग्रेजो को तोहफे में मिल गया।
- बिहार, बंगाल और उड़ीसा की जमींदारी अंग्रेजो को मिल गई
- कंपनी अगर नवाब को अपनी सेना देती है तो उसका सारा खर्च नवाब उठाएगा ,लेकिन बिना खर्च दिए कंपनी नवाब की सेना का इस्तेमाल कर सकती है
- अवध से इलाहाबाद और प्रतापगढ़ को अलग करके राजस्व वसूली के लिए मीरजाफर सौंप दिया गया
- 26 लाख की सालाना पेंशन के साथ
- सूजाऊदौला को संधि के तहत अंग्रेजो को 50 लाख हर्जाना देना पड़ा
- अवध में टैक्स फ्री व्यापार
मीरजाफर के बाद बंगाल का नवाब नजमुदौला बना
बंगाल का अंतिम नवाब मुबारकदौला था
मुबारकदौला को बेताल के नाम से जाना जाता है
कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना अंग्रेजों ने 1775 AD की
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट नवाब के पद को ही खत्म कर देता है।
बक्सर युद्ध के बाद भारत अंग्रेजो का गुलाम माना जाता है